जंगल पर हुआ काली चींटियों का राज । Black Ants Rule The Forest। Moral Story in Hindi
जंगल पर हुआ काली चींटियों का राज । Jungal Par Hua Kaali Cheentiyon ka Raaj। Moral Story in Hindi |
उत्तराखंड के पहाड़गंज गाँव में 15 वर्षीय रवि अपने परिवार की मदद के लिए रोज़ जंगल से लकड़ी इकट्ठा करता था। एक रात, जब वह घर लौट रहा था, तो उसे जंगल से आती हुई सैकड़ों काली चींटियों की टपटपाहट सुनाई दी। उनके शरीर से लाल चमक आ रही थी, जैसे वे जहर से लिपटी हों। रवि डरकर गाँव में दौड़ा और सभी को बताया, लेकिन कोई उस पर किसी ने विश्वास नहीं किया।
रात को, जब रवि अपनी खिड़की से बाहर देख रहा था, तो वही काली चींटियाँ गाँव की ओर बढ़ती हुई नज़र आई। उसे लगा की गाँव में एक बड़ा खतरा आने वाला हैं।
पुराने मंदिर का संदेश
पुराने मंदिर का संदेश । Message from the old temple । Moral Story in Hindi |
अगले दिन, रवि अपनी सहेली लक्ष्मी के साथ जंगल में गया। वे एक पुराने मंदिर के खंडहर पर पहुँचे, जहाँ एक पत्थर की प्लेट पर चींटियों और मनुष्य के सहजीवन का चित्र था। रवि ने प्लेट को साफ़ किया और पीछे से एक नक्शा निकला, जिस पर "चींटियों की गुफा" लिखा था।
गुफा में पहुँचकर उन्हें हज़ारों काली चींटियाँ दिखीं, जो एक प्राचीन चित्र की रक्षा कर रही थीं। चित्र में गाँव वाले जंगल को काट रहे थे, और चींटियाँ उनके खिलाफ लड़ रही थीं। अचानक, एक चींटी ने रवि को लाल रोशनी से संकेत दिया ।
जहर का पता
रवि और लक्ष्मी ने गाँव को बताया कि चींटियाँ उन्हें चेतावनी दे रही हैं। वे समझाने लगे, "हमारा कारखाना जंगल के पानी में जहर मिला रहा है, इसलिए चींटियाँ प्रतिरोध कर रही हैं।"
गाँव वालों ने जाँच की और पाया कि कचरा नदी में मिल रहा है। उन्हें अपनी गलती समझ आई। लेकिन तभी, एक दुर्घटना हो गई—कारखाने का एक पाइप टूटा और जहरीला पानी फैलने लगा ।
समाधान और सम्मान
गाँव वालों ने तुरंत कारखाना बंद कराने का फैसला किया। रवि और लक्ष्मी ने चींटियों को स्वस्थ जंगल में ले जाकर छोड़ दिया। कुछ ही दिनों में, नदी साफ़ हो गई और जंगल हरा-भरा हो गया। गाँव वालों ने एक नियम बनाया: "जंगल की हर पत्ती की रक्षा करेंगे।"
सुबह की चेतावनी
दो साल बाद, पहाड़गंज गाँव फिर से हरा-भरा था। रवि और लक्ष्मी अब 17 साल के हो चुके थे और गाँव के पर्यावरण संरक्षण के नेता बन गए थे। एक सुबह, जब रवि नदी के किनारे चल रहा था, तो उसे फिर से वही काली चींटियाँ दिखीं। लेकिन इस बार वे शांत नहीं थीं—उनके शरीर से तेज़ नीली चमक आ रही थी। रवि को एहसास हुआ कि यह एक नई चेतावनी थी।
उसने लक्ष्मी को बुलाया और दोनों ने देखा कि जंगल के उत्तरी हिस्से में एक बड़ी कंपनी ने नए कारखाने का निर्माण शुरू कर दिया था। कंपनी ने गाँव वालों को बहलाकर भूमि खरीद ली थी और अब वे जंगल के पेड़ काटने वाले थे।
चींटियों का बदला
रवि और लक्ष्मी ने गाँव की सभा में इसकी जानकारी दी, लेकिन कुछ लोगों ने कहा, "इससे गाँव को रोज़गार मिलेगा।" रवि ने आग्रह किया, "ये कारखाना हमारी नदी को फिर से जहरीला कर देगा!" उसी रात, काली चींटियाँ गाँव के हर घर के दरवाज़े पर एक पंक्ति में खड़ी हो गईं—जैसे वे गाँव वालों को डराना चाहती थीं।
अचानक, कंपनी के मैनेजर ने गाँव में घुसकर कहा, "अगर आप लोग इसका विरोध करेंगे, तो हम आपको गाँव से निकाल देंगे।" रवि का खून खोल खड़ा हो गया, लेकिन लक्ष्मी ने उसे शांत किया। उसने कहा, "चींटियों की तरह ही हमें बुद्धिमानी से लड़ना होगा।"
रहस्यमयी गुफा की यात्रा
रहस्यमयी गुफा की यात्रा । Tour of the Mysterious Cave। Moral Story in Hindi |
रवि और लक्ष्मी फिर से जंगल की गुफा में गए। वहाँ चींटियों ने उन्हें एक पुरानी टेबलेट दिखाई, जिस पर लिखा था: "जब मनुष्य प्रकृति का शत्रु बनेगा, तो चींटियाँ उसकी सबसे बड़ी मित्र बनेंगी।" रवि समझ गया कि चींटियाँ उनकी मदद करेंगी।
उन्होंने गुफा से एक चमकदार पत्थर निकाला, जो नदी के पानी को साफ़ करने की ताकत रखता था। लक्ष्मी बोली, "इसे गाँव ले जाकर सबको दिखाएँगे।"
अंतिम संघर्ष
गाँव में, रवि ने पत्थर को नदी में डाला। कुछ ही मिनटों में पानी साफ़ हो गया और कारखाने के विषैले पाइप फट गए। कंपनी के लोग घबराए और भागने लगे। उसी समय, हज़ारों काली चींटियाँ ने कारखाने पर हमला कर दिया और उसे नष्ट कर दिया
दो सप्ताह बाद, गाँव में एक नया नियम बना: "कोई भी कारखाना या प्रदूषणकारी चीज़ जंगल के पास नहीं बनाई जाएगी।" रवि और लक्ष्मी को गाँव के नायक बनाया गया।
एक रात, जब रवि अकेला जंगल में था, तो एक काली चींटी उसके कंधे पर आकर बैठी। उसने एक सपने जैसा दृश्य देखा—चींटियाँ उसे एक संदेश दे रही थीं: "हमेशा प्रकृति की आवाज़ सुनो, वही तुम्हारा सच्चा मित्र है।"
अंत में, रवि ने लक्ष्मी से कहा, "प्रकृति की आवाज़ कभी छोटी नहीं होती। हमें उसकी सुननी चाहिए।"
संदेश :- "प्रकृति का संदेश हमेशा सहजीवन की ओर ले जाता है। उसकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ करने से हमारा ही नुकसान होता है।"
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