War 2 : Mission of Little Soldiers । युद्ध 2 : कियारा का गुप्त मिशन
![]() |
War 2 : एक नन्ही देशभक्त का पहला कदम | Freedom fighters child heroine in Quit India movement |
आजादी की जंग में एक नन्हा सिपाही
सन् 1944 में, भारत आजादी की लड़ाई के सबसे गर्म दौर से गुजर रहा था। क्विट इंडिया आंदोलन ने पूरे देश में जोश भर दिया था। बंगाल के तमलुक में जातीय सरकार ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी समांतर सरकार स्थापित की थी, जो स्कूलों को अनुदान देती थी, चक्रवात राहत कार्य करती थी, और सशस्त्र विद्रोह का आयोजन करती थी। इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए), सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में, ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रही थी।
तमलुक के पास एक छोटे से शहर में, 14 साल की कियारा अपने परिवार के साथ रहती थी। उसका दिल देश के लिए कुछ करने की चाहत से भरा था। उसके पिता, कैप्टन राजेश, आईएनए में सैनिक थे और महीनों से घर से दूर थे। कियारा की माँ, सरिता, घर संभालती थीं और अपने बच्चों को देशभक्ति की कहानियाँ सुनाती थीं। हर रात, कियारा अपने पिता के लौटने की प्रार्थना करती थी, लेकिन उसका मन बेचैन था। वह सोचती थी, "क्या मैं भी कुछ कर सकती हूँ?"
एक शाम, जब सूरज ढल रहा था, एक अजनबी उनके घर आया। उसने कियारा को एक सील बंद लिफाफा दिया और फुसफुसाया, "यह तुम्हारे पिता का है। इसे तमलुक की जातीय सरकार तक पहुंचाओ। समय बहुत कम है।" कियारा ने लिफाफा लिया, और उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। अजनबी ने कहा, "किसी को मत बताना। यह देश की आजादी का सवाल है।" वह पलक झपकते ही गायब हो गया। कियारा ने लिफाफे को अपनी जेब में छिपा लिया और कमरे में जाकर उसे खोला।
रहस्यमय पत्र का खुलासा
लिफाफे में एक पत्र था, जिसमें अजीब-से प्रतीक और नंबर लिखे थे। कियारा को पहले कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उसने अपने पिता की लिखावट पहचान ली। पत्र में लिखा था कि ब्रिटिश सरकार अगले दो दिनों में तमलुक की जातीय सरकार पर हमला करने की योजना बना रही है। अगर यह हमला सफल हुआ, तो आजादी की यह छोटी सी जीत खत्म हो सकती थी। पत्र में एक नक्शा भी था, जो ब्रिटिश हथियार डिपो और सैनिकों की तैनाती को दर्शाता था।
कियारा ने पत्र को बार-बार पढ़ा। उसकी आँखें चमक उठीं। "हमें यह खबर नेताओं तक पहुंचानी होगी," उसने मन में ठान लिया। लेकिन वह अकेले यह जोखिम नहीं उठा सकती थी। उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त रोहन और अपनी नई दोस्त ऐशा को बुलाया। रोहन, जो पहेलियाँ सुलझाने में माहिर था, और ऐशा, जो जंगल और गलियों को अच्छे से जानती थी, तुरंत तैयार हो गए।
"लेकिन कियारा," रोहन ने चेतावनी दी, "शहर में ब्रिटिश सैनिकों की नजर है। अगर हम पकड़े गये, तो " उसने बात अधूरी छोड़ दी। ऐशा ने सुझाव दिया, "हम गांव के रास्ते जाएंगे। वहां ब्रिटिश कम होंगे।
खतरों से भरा सफर
रात का अंधेरा घना था। कियारा, रोहन, और ऐशा अपनी साइकिलों पर सवार होकर निकल पड़े। चांदनी रात में जंगल की पगडंडियाँ डरावनी लग रही थीं। हवा में ठंडक थी, और दूर से उल्लुओं की आवाज़ें आ रही थीं। कियारा के मन में डर और उत्साह दोनों थे। वह सोच रही थी कि क्या वे समय पर तमलुक पहुंच पाएंगे।
अचानक, दूर से ब्रिटिश सैनिकों की जीप की आवाज़ आई। "छिपो!" कियारा ने फुसफुसाया। तीनों झट से एक बड़े बरगद के पेड़ के पीछे छिप गए। सैनिकों की टॉर्च की रोशनी उनके पास से गुज़री, और कियारा की सांस अटक गई। उसने पत्र को अपनी जेब में और कसकर पकड़ लिया, जैसे वह उसका सबसे कीमती खजाना हो।
जैसे ही सैनिक चले गए, वे आगे बढ़े। लेकिन रास्ते में एक और खतरा इंतज़ार कर रहा था। एक आदमी, जो सड़क पर अकेला खड़ा था, ने उन्हें रोका। "कहाँ जा रहे हो, बच्चो?" उसने पूछा। उसकी आँखों में शक था। कियारा को वह आदमी जासूस जैसा लगा। "हम अपने नाना के गाँव जा रहे हैं," उसने झट से जवाब दिया। लेकिन आदमी ने हंसते हुए कहा, "सच? इतनी रात को?" कियारा ने जल्दी से एक नकली पत्र निकाला, जो उसने पहले से तैयार किया था, और उसे थमा दिया। "यह हमारे नाना का पत्र है।" आदमी ने पत्र पढ़ा और चला गया, लेकिन कियारा को यकीन था कि वह ब्रिटिश जासूस हो सकता था।
![]() |
War 2 : कियारा, रोहन और ऐशा का जंगल और नदी पार करते हुए ब्रिटिश सैनिकों से बच निकलना | Brave Indian kids Escaping British Soldiers During Secret Mission |
जासूस की चाल
अगली सुबह, वे एक नदी के किनारे पहुंचे। नदी पार करना ज़रूरी था, लेकिन वहाँ एक छोटा सा पुल था, जिस पर ब्रिटिश सैनिकों का पहरा था। ऐशा ने कहा, "मुझे एक रास्ता पता है। नदी के नीचे एक पुराना रास्ता है, जहाँ से हम तैर सकते हैं।" तीनों ने अपनी साइकिलें एक झाड़ी में छिपाईं और ठंडे पानी में उतर गए। कियारा का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। तभी, उन्हें वही जासूस फिर दिखा, जो अब एक नाव पर था। "रुको!" उसने चिल्लाया।
कियारा ने तेज़ी से सोचा। उसने अपनी जेब से एक पत्थर निकाला और जासूस की नाव की ओर फेंका। पत्थर नाव के किनारे से टकराया, और जासूस का ध्यान भटक गया। इस मौके का फायदा उठाकर, तीनों तेज़ी से तैरकर दूसरी ओर पहुंच गए। लेकिन कियारा को डर था कि जासूस ने उन्हें देख लिया था।
विश्वासघात का सामना
नदी पार करने के बाद, वे एक छोटे से गाँव में रुके। वहाँ एक बूढ़ी औरत ने उन्हें खाना दिया। उसने बताया कि ब्रिटिश सैनिक गाँव में तलाशी ले रहे हैं। कियारा को अब यकीन हो गया कि जासूस ने उनकी खबर दे दी थी। "हमें जल्दी करना होगा," उसने कहा। रोहन ने सुझाव दिया, "हम जंगल के रास्ते जाएंगे। वहाँ सैनिक कम होंगे।"
जंगल में, उन्हें एक और खतरा मिला। एक ब्रिटिश सैनिक की टुकड़ी उनकी तलाश में थी। कियारा ने देखा कि सैनिकों के साथ वही जासूस था। "वह हमें धोखा दे रहा है!" ऐशा ने गुस्से में कहा। कियारा ने शांत स्वर में कहा, "हमें चालाकी से काम लेना होगा।" उन्होंने जंगल में एक गुप्त गुफा ढूंढी, जहाँ वे छिप गए। सैनिक उनके ऊपर से गुज़र गए, लेकिन कियारा को डर था कि वे फिर लौटेंगे।
अंतिम पड़ाव
तमलुक अब करीब था, लेकिन खतरा अभी टला नहीं था। जंगल से निकलते ही, उन्हें ब्रिटिश सैनिकों की एक जीप दिखी, जो उनकी ओर आ रही थी। "भागो!" रोहन ने चिल्लाया। तीनों गलियों और खेतों के रास्ते भागे। सैनिकों ने उनका पीछा किया, लेकिन ऐशा ने उन्हें एक तंग गली में ले जाकर चकमा दे दिया। कियारा की साँसें तेज़ थीं, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
आखिरकार, वे तमलुक की जातीय सरकार के मुख्यालय पहुंचे। वहाँ, एक बुजुर्ग नेता, दादाजी, ने उनका स्वागत किया। कियारा ने पत्र सौंपा और सारी बात बताई। दादाजी ने गंभीरता से पत्र पढ़ा और कहा, "तुमने बहुत बड़ा काम किया है, बच्चो। यह जानकारी हमें बचा सकती है।"
![]() |
War 2: कियारा ने तमलुक जातीय सरकार तक पहुंचाया गुप्त पत्र - देशभक्ति और साहस की जीत | Kiara Delivers Secret Letter to Tamluk Rebels During Quit India Resistance |
युद्ध की जीत
उस रात, जब ब्रिटिश सैनिक हमला करने आए, तो जातीय सरकार तैयार थी। उन्होंने सैनिकों को मात दी, और तमलुक की आजादी की लौ जलती रही। कियारा, रोहन, और ऐशा ने दूर से यह सब देखा। उनकी आँखों में गर्व की चमक थी। उन्होंने अपने छोटे से प्रयास से देश की मदद की थी।
साहस की जीत
यह कहानी कियारा की बहादुरी और देशभक्ति की है। यह बच्चों को सिखाती है कि उम्र कोई मायने नहीं रखती, अगर दिल में साहस और इरादे सच्चे हों। क्विट इंडिया आंदोलन और तमलुक की जातीय सरकार जैसे ऐतिहासिक तथ्य इस कहानी को और भी प्रेरणादायक बनाते हैं। कियारा की कहानी हमें याद दिलाती है कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।
Comments
Post a Comment